रक्षक (भाग : 02)
पिछले भाग में आपने देखा एक अत्याधुनिक नगर जो चारो तरफ से पहाड़ो से घिरा है, वही के रहने वाले एक आम से लड़के को कुछ समस्याएं थी पर डॉक्टरों के अनुसार वो बिल्कुल ठीक है, वो अपना मन बहलाने के लिए पूर्व के पहाड़ी पर जाता है, जहाँ जाना निषेध है, वही पर राज की मुलाकात कुछ रहस्यमय परग्रहियों 4J से होती है जो मानवों के समान ही शारीरिक संरचना वाले थे, उनसे हुई मुठभेड़ में राज को लगता है जैसे उसके मस्तिष्क पर कोई और नियंत्रण करना चाहता है और लड़ाई के दौरान उसका शरीर पूरी तरह से परिवर्तित हो जाता है, और सब उसे नायक कहते हैं, और अपने साथ स्पेसक्राफ्ट में बिठाकर ले जाते हैं।
अब आगे….
वर्तमान:
स्पेसक्राफ्ट उड़ते ही, कुछ ही पलों में अंतरिक्ष में गायब हो गया, उसकी स्पीड लगभग प्रकाश के बराबर थी।
अंतरिक्ष मे जाते ही यूनिक अपनी स्पेशल टेक्नोलॉजी के द्वारा वार्म होल मार्ग बनाने लगा।
( वार्म होल एक ऐसा रास्ता होता है जिसमे करोड़ो प्रकाशवर्ष की दूरी को चंद पलो में तय कर लिया जाता है, ये ब्लैक होल की ही तरह होता है पर इसमे जाने के बाद केवल एक रास्ता बनता है, अर्थात ये ब्लैक होल की तरह किसी पिंड या पदार्थ को खुद के अंदर समाहित तो करता है परन्तु कुछ ही पल में अरबो किलोमीटर की दूरी तय करके दूसरी तरफ निकाल भी देता है। पर इसके लिए यान में पर्याप्त सामर्थ्य होना चाहिए कि वो इतनी तीव्र गति और भीषण गुरुत्वाकर्षण को झेल सके, अन्यथा वो नष्ट हो जाएगा।)
अब रक्षक, राज के मस्तिष्क को अपनी नियंत्रण से छोड़ चुका है, क्योंकि वो उसके साथ ज्यादती नही कर सकता और उसे उसके जाने के बाद क्या हुआ ये सबकुछ जानने की इच्छा है, अतः वह समय आने पर सबकुछ याद आने का निर्देश देकर राज का मस्तिष्क उसके नियंत्रण में छोड़ देता है। अब मस्तिष्क और विचार तो राज के हैं परन्तु शरीर रक्षक का और राज इस शरीर, जो इन लोगो, किसी के बारे में कुछ नही जानता।
राज के मन मे कई सारे सवाल थे मगर वो किसी से पूछ नही पा रहा था। अब कोई उससे बात भी नही कर रहा था, सब अपनी अपनी जगह शांत होकर मौन बैठे थे, राज को ये सब बहुत अजीब लगता है, वो उनसे कई बार पूछता है।
पर वो जवाब सिर्फ इतना कहते है -
समय आने पर सब पता चल जाएगा, हमे तुम्हारी बहुत जरूरत है।
वार्म होल से निकलते ही उनका यान दूसरे आकाशगंगा में प्रवेश कर चुका था, या कई सारी आकाशगंगाओं को पार करने के बाद पहुँचे थे, वहां के तारे हल्के नीले प्रकाश से प्रकाशित थे और बहुत तेज़ी से गति कर रहे थे, हज़ारो उल्काओ, उपग्रहों और 3 बड़े ग्रहों को पर करने के बाद यूनिक एक ग्रह की ज़मीन पर उतरने लगा।
उस ग्रह पर धूल गुब्बार उड़ रहा था, ऐसा सन्नाटा पसरा था मानो सारे ग्रहवासी मातम मना रहे हों, हज़ारो मीटर ऊंची इमारतें टूटकर जमीन पर बिखरी हुई थी, मिट्टी में जगह जगह पर रक्त के निशान थे, ऐसा लगता था जैसे कोई भीषण तूफान आया हो और सब कुछ तबाह करके ले गया। यहां दूर दूर तक किसी जीव के नामों निशान तक न थे, कुछ देर पहले जो दुनिया ब्रह्मांड के सबसे उन्नत ग्रहों में से एक रहा होगा, उसपर विनाश तांडव कर रहा था, राज की आँखे भर आयी पर उसे समझ नही आ रहा था कि यहां क्या हुआ होगा। अब तक यान एक जगह सुरक्षित उतर चुका था।
थोड़े ही देर बाद एक उड़ने वाली कार आ आती है, और ड्राइवर उन्हे बैठने का निर्देश देता है,राज पहली बार इस ग्रह पर किसी जीव को देखा, उसे ये देखकर बहुत आश्चर्य हो रहा था कि उनकी शारीरिक संरचना भी बिल्कुल मनुष्यों की ही भांति है।
(अब रक्षक, राज के दिमाग में नही है इसलिये उसे इस ग्रह और यहां के लोगो के बारे में कुछ भी पता नही है।)
ड्राइवर उन्हें अपनी कार पर बैठने का पुनः आग्रह करता है परंतु वो चारो राज को उस कार में बिठाकर वापस स्पेसक्राफ्ट में चले जाते है, वो इस धरती की परिधि में ज्यादा देर तक नही रुक सकते इससे उसे उनके बारे में खबर पहुँच सकती है जो उनके ग्रह को पूर्ण रूप तबाह करना चाहता है और सारे किये कराए पर पानी फिर जाएगा, क्योंकि उन्हें इतना पता चल चुका था कि रक्षक को अपने बारे में कुछ भी पता नही है, जैक अपने ब्रेसलेट पर कुछ टाइप करते किसी को मैसेज भेजता है और उनका यान वहां से उड़ जाता है।
राज अब भी कुछ सोच रहा था, सोचते हुए वो उस कार में बैठा जाता है, वो ड्राइवर से बात करना चाहता था, पर उसे समझ नही आ रहा था वो क्या बोले, इतनी भयंकर तबाही देखकर उसके शरीर मे जोरो की सिहरन होने लगी थी। वो इस बारे में जानना था चाहता था, पर उसे पता है कि सब एक ही जवाब देंगे- समय आने पर सब पता चल जाएगा। उसने ड्राइवर कोई से बात नही की, न ही ड्राइवर अपनी तरफ से कोई पहल कर उससे कुछ कहता है।
राज बड़े असमंजस में था, मगर फिर भी वो उनके साथ इस धरती पर आता है, क्योंकि वो जानना चाहता था कि वो कौन है, और उसका रुप अचानक से बदलकर ऐसा क्यों हो गया है, अब उसके मन मे हज़ारो सवाल उठ रहे थे, पर जवाब एक भी नही। अब उसका अपने मस्तिष्क पर पूरा नियंत्रण था पर वो रक्षक के बारे में भूल चुका था, उसे बस अपनी बदली हुई तस्वीर दिख रही थी और यहां के बिगड़े हुए हालात।
मन में हज़ारो विचार आ रहे थे, यहां क्या हुआ होगा, क्यों हुआ होगा , किसने किया होगा, आखिर उसका रूप बदलकर ऐसा कैसे हो गया, वे सब उसे रक्षक क्यों कहा रहे थे वगैरह वगैरह...
उसके मन में उठा सवालों का तूफान थमने का नाम नही ले रहा था, वो सब कुछ जानना था।
मगर कैसे?
यहाँ तो उससे कोई बात ही नही कर रहा था, यहां तक कि उन्होंने भी उससे कोई बात नही की जो उसे यहाँ तक लेकर आये।
थोड़े समय बाद वह कार एक पुराने हल्के टूटे महल के पास रुकती है,......, महल देखकर लगता है जैसे कोई राजसी इमारत हो, ऐसी ही इमारत अभयनगर में भी है जहाँ वो रहता है, पर वो इसके दसवें भाग से भी छोटी होगी।
ड्राइवर :- उतरिए, अब यहां से पैदल चलना है
राज बहुत ही आश्चर्यचकित था, वो अब भी अपने मन में यही सोच रहा है कि
कौन हूं मैं? मैं क्या हूँ? मेरे मन मे ढेर सारे सवालों का तूफान उमड़ रहा है, मगर मैं पुछू किससे, यहां तो मुझसे कोई बात ही नही कर रहा, तभी राज की तन्द्रा भंग होती है…।
क्या हुआ?? चलिए, The Great VAINADA आपसे मिलने को इच्छुक है:- ड्राइवर पूछते हुए कहता है
अम्म्म ….. कुछ नही! चलो चले - राज थोड़ा सामान्य होने की कोशिश करते हुए कहता है।
वो छोटे दरवाजे से घुसकर टेढ़े मेढ़े रस्ते पर चलते हुए कुछ ही देर बाद वो उस खंडहर के मुख्य द्वार पर पहुँच जाते है, जहाँ दो लोग खड़े रहते है।
अब इन्हें यहाँ से The Great तक ले जाना तुम्हारा काम है जोन्स। - ड्राइवर वहां खड़े एक युवक से सम्मान के साथ कहता है
और वहाँ से वापस लौट जाता है..
चलो नायक! :- जोन्स राज से कहता है और साथ लेकर चल देता है।
जोन्स आगे आगे और राज पीछे पीछे चल देता है, राज के पीछे-पीछे एक और नवयुवक चलता है। तभी राज को ऐसा लगता है जैसे वो इस जगह को जानता है पर कुछ ही पल में ये ख्याल और सवाल और उसकी स्मृति से मिट जाते हैं। थोड़ी देर चलने के बाद सामने का रास्ता खत्म हो जाता है, सामने और तीनों तरफ से दीवार थी, केवल जिस रास्ते से वो लोग आए थे वही रास्ता आने जाने लायक दिख रहा था।
तभी जोन्स अपने साथ आये युवक को कुछ निर्देश देता है
जोन्स:- अब आगे का काम तुम्हारा है , एक्स
एक्स :- ठीक है जोन्स, अब तुम जा सकते हो।
जोन्स वहाँ से वापस जाने लगता है, और एक्स अपना एक हाथ वहाँ के दीवार के कोने में डालता है, तभी सामने की ओर की दीवार सरकने लगती है, और वहां से नीचे जाने के लिए बनाई गई सीढ़ियां दिखाई देने लगी
एक्स:- चलो नायक! पहला कदम तुम रखो,
राज बिना कुछ बोले अपना कदम बढ़ा देता है, थोड़ी देर बाद एक मोड़ पर …
एक्स राज से कहता है
- अब यह से आगे तुम्हे अकेले जाना होगा, नायक!
राज अब भी बिना कुछ बोले सीढ़िया उतरते जाता है, वहा इतना अधिक सन्नाटा पसरा हुआ था कि उसके पैरों की आवाज बड़ी आसानी से पूरे तहखाने में गूंज रही थी, बिना किसी डर के, मन मे लाखो सवाल लिए वो आगे बढ़ता जा रहा था
आखिरकार मेरी इन आँखों को तुम्हे देखने का सौभाग्य मिल ही गया, नायक! मैने तुमको न जाने कहा कहा ढूंढा
( वहां अंधेरो में से आवाज आई,आवाज में उसके लिए प्यार और दर्द स्पष्ट झलक रहा था..)
राज चौक गया,और पूछा:- कौन है आप ??
और इससे बड़ा सवाल मैं कौन हूँ?
मैं ऐसा कैसे हो गया?
और मुझे यहाँ क्यों लाया गया है??
आप सब मुझे नायक क्यों कह रहे है , जबकि मेरा नाम राज है, क्यों??
मुझे मेरे सवालो का जवाब चाहिए, उत्तर दो मुझे
राज व्यग्र हो गया था, उसके मन में उठ रहे उन सवालों के तूफान ने उसे अत्यधिक व्यग्र बना फ़िया था, उसे न जाने कितने सवालो का जवाब चाहिए था,और ऐसे मौकों पर किसी का भी व्यग्र हो जाना वाजिब था..
जरा रुको तो सही, अभी तो मैंने तुम्हारा चेहरा भी नही देखा , जरा जी भरकर देखने दो, सैकड़ो वर्ष इंतजार किया है, तुमसे मिलने के लिए :- अंधेरे भरे कोने से आवाज आई
तो फिर आप कौन है? राज के चेहरे पर व्यग्रता बिलकुल साफ झलक रही थी, वो सबकुछ जानने के लिए अत्यधिक उत्तेजित हो चुका था।
मैं कौन हूं? क्या तुम ये भी भूल गए हो? क्या सचमुच तुम्हें कुछ भी याद नही है? - उस आदमी ने राज से पूछते हुए कहा
नही! मुझे कुछ भी याद नही है, मैं तो ये भी नही जानता मैं ऐसा कैसे हो गया? मेरा रूप कैसे बदल गया? और मुझे यहाँ क्यों लाया गया है?....
तो सुनो, तुम्हे यहाँ इसलिए लाया गया है क्योंकि ये तुम्हारा घर है, ये उजाले का घर है, और ये तबाह होने वाला है, अब इसे सिर्फ तुम ही बचा सकते हो।
वो आदमी राज को समझाने का प्रयास करता है, और उसे बताता है
राज बहुत ही अचंभित हो गया है "ये मेरा घर है?
मैं तो इस दुनिया को जानता तक नही, और न ही इससे पहले मैं यहाँ आया हूं।"
"हाँ, ये धरती ही तुम्हारा घर है, और तुम यही के प्राणी हो, तुम यहां आये नही बल्कि तुम यही के हो।" वह आदमी राज को समझाने की कोशिश करता है।
"मुझे पूरी बात बताइये" :- राज जानने की उत्सुकता को जाहिर करता है।
"अभी नही राज वक़्त आने पर, सब बता दिया जाएगा तुम्हे" :- वो आदमी बोला।
दोनों अब तहखाने के और अंदर तक चले जा रहे थे, वहां हल्के नीले प्रकाश में राज उस आदमी की शक्ल को देखता है, जो हल्का पीला वस्त्र धारण किये हुए और कंधे पर नीला वस्त्र लटकाए हुए है चेहरे पर थोड़ी थोड़ी सी झुर्रियां पड़ चुकी हूं और लम्बी दाढ़ी-मूंछे हैं।
"कृपया कर अपने बारे में बताए" - राज उस आदमी से पूछता है।
"तुम्हारी हठ करने की आदत नही गयी, बच्चे" - वो बूढा आदमी मुस्काते हुए कहता है
"मैं तुम्हारा गुरु हूँ, जिसने तुम्हें संपूर्ण ब्रह्मांड का ज्ञान और युद्धकलायें सिखाया है। मेरा नाम रक्ष है, पर यहाँ के लोग मुझे गुरु जीवा कहते है, और तुम मेरे सबसे प्रिय शिष्यों में से एक हो, वनष के बाद केवल तुम्ही हो जिसमें सम्पूर्ण ज्ञान को स्वयं के अंदर समाहित कर सकने का सामर्थ्य है, केवल तुम्ही हो जो इस विनाश से इस धरती को नष्ट होने से बचा सकते हो। ऐसा कार्य तुम्हारे पिता भी कर चुके हैं परन्तु इस भीषण प्रलय के आने से पहले ही तुम्हारे पिता न जाने कहाँ चले गए, हमने उन्हें भी बहुत ढूंढा, पर वो जब न मिले तो मैंने वैनाडो से तुम्हे ढूंढने के लिए इस ग्रह के महान योद्धाओं को भेजा, क्योंकि वो भी इस शक्ति के सामने तुच्छ हैं, वो चाहकर भी उससे नही लड़ सकते, न ही जीत सकते है।"
राज - "मेरे पिता!!! क्या बकवास कर रहे हो आप, मुझे आपकी बात समझ नही आ रही है!!"
"क्षमा कीजिये गुरुदेव मुझे मेरे पिता के बारे में बताइए।" अपनी व्यग्रता को नियंत्रित करते हुए बोला।
"जरुर बच्चे पर इससे पहले इस दुनिया को बचाना जरूरी है, ये जान लो तुम्हारे पिता इस दुनिया के महारक्षक और मेरे पहले शिष्य और ब्रह्मांड के पहले 'लहू' थे। उन्होंने बहुत से असंभव से लगने वाले कार्य किये हैं, पर मैं अभी सब कुछ नही बता सकता, हमारे पास वक़्त बहुत कम है।"
गुरु जीवा उसे बहुत कुछ समझाते है, राज का दिल यकीन नही करता पर उसे सब पता लगाना है इसलिए वो ऐसी प्रतिक्रिया करता है जिससे उन्हें लगे कि वो उन सब पर यकीन कर रहा है।
"हम कहा जा रहे है गुरुदेव?" :- राज पूछता है,
"The Great Vainada के पास, उन्हे तुमसे मिलने की अत्यंत उत्सुकता है, वही तुम्हारे सारे सवालों के जवाब मिल जाएंगे, वही तुम्हें अपने पिता और माता के बारे में बताऊंगा" :- गुरु जीवा उससे कहते है।
चलते चलते वे दोनों एक विशाल कक्ष के बाहर ठिठक जाते है, वहाँ गेट पर लगा बीज़र DNA स्कैनेर दोनों को स्कैन करता है, और दरवाजा अपने आप खुलने लगता है
"समस्त ब्रह्मांड में सबसे ज्ञानी, सबसे महान गुरु जीवा को मेरा प्रणाम"
वहा एक विचित्र आसन जो कि किसी पुरातन काल के सिंहासन के भांति था से उठकर गुरु जीवा के पाँव को छूकर, उनका अभिनंदन करता है।
उठो इस देश के नायक मेरे प्रिय शिष्यों में से एक, Great Vainada के बड़े पुत्र “अर्थ”,. देखो कौन आया है,
"तुम..... तुम...., तुम... नायक हो न?.."
"गुरूदेव बताइये न क्या यह नायक ही है ना??
आखिरकार हमारे पिताजी और हमारे लोगो की और हम सबकी कोशिश कामयाब हो ही गयी हमने नायक को ढूंढ ही लिया।"
-: अर्थ खुशी के मारे हकलाते हुए बोला।
“ बुझते चिराग की लौ जल उठी, तुम्हे देखकर”
"ये कुछ बोल क्यों नही रह है गुरुदेव ?"
"क्या हुआ है इसे..??"
अर्थ बहुत उत्तेजित हो रहा था, और राज को भी अपने सवालो का जवाब चाहिए था,उनके सवालों का जवाब गुरु जीवा के पास था, उस जवाब में ही दोनों के सवालों का राज छिपा है..
जो उन्हें गुरु जीवा बताने वाले है…
"चलो तुम्हे The Great VAINADA के समक्ष सबकुछ बताता हूँ, सबकुछ इस समस्या को भी, तुम्हारा अतीत भी, तुम्हे सारी जानकारियां मिलेंगी नायक। अब चलो वैनाडा आने ही वाले होंगे" :- गुरु जीवा बोले..
राज, इस दुनिया पर क्या हुआ है और अपने अतीत को जानने के लिए बहुत व्याकुल था, परन्तु अब भी उसका अपने मन पर संयम बना हुआ था, उसे पता है कि ज्यादा व्यग्र होना भी उचित नही है। अब उसे उन सारे सवालों के जवाब का इंतजार है जो शीघ्र ही मिलने वाले हैं।
Hayati ansari
29-Nov-2021 09:54 AM
Lovely
Reply
Niraj Pandey
09-Oct-2021 12:16 AM
बहुत ही बेहतरीन
Reply
Seema Priyadarshini sahay
05-Oct-2021 05:08 PM
बहुत खूबसूरत
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